माता-पिता के कर्त्तव्य
बच्चों में महानता के बीज बोएँ। चरित्र का विकास करें। धर्ममार्ग की ओर अग्रसर करें। ज्ञानवृद्धि करें। सद्गुण बढ़ाएँ। क्रियाशील रखें। व्रतशील बनाएँ। जीवन को नियमित बनाएँ। आज्ञापालन की शिक्षा दें। निर्भीक और साहसी बनाएँ। अपना आदर्श उपस्थित करें। आत्मनिर्भर बनाएँ। समस्याओं को स्वयं सुलझाने दें। घरेलु वातावरण को पवित्र रखें। निंदा नहीं, प्रशंसा करें। प्रबल, किंतु उत्कृष्ट इच्छाओं की पूर्ति में बाधा न डालें। काम-प्रवृत्ति को रोकें। चरित्र निर्माण के लिए कथाओं का माध्यम अपनाएँ। हीनता की भावना न भरें। बच्चों को पीटें नहीं। अनुचित आदतें पनपने न दें। बुरी संगत से दूर रखें।
Sow the seeds of greatness in children. Develop character. Head on the path of Dharma. Increase knowledge. Increase virtue. Keep active Make it fast. Make life regular. Teach obedience. Be bold and courageous. Present your ideal. Make yourself independent. Let the problems solve themselves. Keep the domestic environment pure. Do not condemn, praise. Do not obstruct the fulfillment of strong but noble desires. Stop the trend. Use the medium of stories for character building. Don't fill the feeling of inferiority. Don't beat the kids. Do not allow inappropriate habits to develop. Keep away from bad company.
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महर्षि दयानन्द को अधिष्ठात्री देवों की सत्ता स्वीकार्य न थी। उनके द्वारा तत्कालीन यज्ञ परम्परा का घोर विरोध किया गया। अपने वेदभाष्य व सत्यार्थप्रकाश में उन्होंने देवतावाची पदों का सही अर्थ प्रस्तुत किया। सत्यार्थप्रकाश सप्तम समुल्लास में देवता की परिभाषा देते हुए महर्षि कहते हैं- देवता दिव्यगुणों...