प्राकृतिक आवास
वृक्ष वायु ही नहीं ये ध्वनि एवं भू-प्रदूषण को भी नियंत्रण करने में सहायक होते हैं। साथ ही गरम वायुमंडल में ठंढक प्रदान करते हैं। पाया गया है कि वृक्षों से मिलने वाली ठंडक से ५०० प्रतिशत तक एयर कन्डीशनर की आवश्यकता को कम किया जा सकता है। वृक्षों से उपलब्ध फल-फूल, आहार एवं औषधियाँ जीवन का आधार हैं। इनसान ही नहीं, हर प्राणी इनसे पोषण पाता है। मानव को जहाँ इनसे नाना प्रकार के फल, अन्न एवं जीवनदायिनी औषधियाँ मिलती हैं तो वहीँ प्रकृति की गोद में विचरण कर रहे जीव-जंतु तो पूर्णतया इन्हीं पर निर्भर होते हैं और इनके आश्रय में रहकर जीवनयापन करते हैं। इन्हीं वृक्षों की टहनियों से लेकर कोटरों में इनके प्राकृतिक आवास होते हैं।
Trees are helpful in controlling not only air but also noise and land pollution. Also provide frost in hot atmosphere. It has been found that the cooling from trees can reduce the need for air conditioners by up to 500 percent. Fruits, flowers, food and medicines available from trees are the basis of life. Not only humans, every living being gets nourishment from them. Where humans get various types of fruits, food and life-giving medicines from them, then the living beings living in the lap of nature are completely dependent on them and live in their shelter. From the twigs of these trees to Kotor, their natural habitat is.
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महर्षि दयानन्द को अधिष्ठात्री देवों की सत्ता स्वीकार्य न थी। उनके द्वारा तत्कालीन यज्ञ परम्परा का घोर विरोध किया गया। अपने वेदभाष्य व सत्यार्थप्रकाश में उन्होंने देवतावाची पदों का सही अर्थ प्रस्तुत किया। सत्यार्थप्रकाश सप्तम समुल्लास में देवता की परिभाषा देते हुए महर्षि कहते हैं- देवता दिव्यगुणों...