इतिहास
आज हम इतिहास के एक मनोवैज्ञानिक क्षण से गुजर रहे हैं और विश्व में घटित हो रही विचित्र घटनाओं का सीधा संबंध भाषा, साहित्य और संस्कृति के साथ है। इतिहास की विडम्बना यह है कि दो हजार वर्ष के समय की कई भाषाएँ लुप्त हो गई हैं तथा उन भाषाओँ का भी पता नहीं, जो सांस्कृतिक दूत लेकर भारत आए थे। सभ्यता और संस्कृति भी उनके साथ आई थी। कहने का प्रयोजन यह है कि जहाँ इतिहास ने कई रेखाएँ खींच दी हैं, वहीँ विदेशी भौगोलिक आक्रांताओं ने भारतीय भाषाओँ, साहित्य, संस्कृति और सभ्यताओं को गहरे में प्रभावित भी किया है। यह प्रभाव अपने मूल प्रभाव में गंदला, मटमैला, नशीला और अपसंस्कृत है।
Today we are passing through a psychological moment in history and the strange events happening in the world have a direct relation with language, literature and culture. The irony of history is that many languages of two thousand years old have disappeared and even those languages which were brought to India by cultural messengers are not known. Civilization and culture also came with them. The purpose of saying is that where history has drawn many lines, foreign geographical invaders have deeply influenced Indian languages, literature, culture and civilizations. This effect is dirty, murky, intoxicating and degenerate in its original effect.
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महर्षि दयानन्द को अधिष्ठात्री देवों की सत्ता स्वीकार्य न थी। उनके द्वारा तत्कालीन यज्ञ परम्परा का घोर विरोध किया गया। अपने वेदभाष्य व सत्यार्थप्रकाश में उन्होंने देवतावाची पदों का सही अर्थ प्रस्तुत किया। सत्यार्थप्रकाश सप्तम समुल्लास में देवता की परिभाषा देते हुए महर्षि कहते हैं- देवता दिव्यगुणों...