शयनकक्ष
जब हम शयन के लिए लेटे हुए नींद के आगोश में जाने की तैयारी कर रहे होते हैं। तो हमें यह याद रखना चाहिए कि हमारे दिमाग में आया आखिरी ख्याल नींद के दौरान चार घंटे तक हमारे अवचेतन मन में बरकरार रह सकता है। यह एक तरह की प्रोग्रामिंग के सामान है, जिसकी प्रक्रिया नींद में अवचेतन तक पहुँचने से पहले मन में चल रहे विचार से शुरू हो जाती है और अगले चार घंटे तक चलती रहती है। इसलिए यदि हो सके तो अपने शयनकक्ष में कोई अच्छी तसवीर, अच्छी प्रार्थना या मंत्र लिखकर लगा लेना चाहिए, ताकि सोते समय हम इन्हें देखकर, पढ़कर, इन पर मनन-चिंतन करते हुए सोएँ क्योंकि शयन से पूर्व का समय सबसे महत्वपूर्ण होता है, ठीक उसी तरह जैसे मृत्यु से पूर्व का समय महत्वपूर्ण होता है।
When we are preparing to go to sleep lying down for sleep. So we must remember that the last thought that comes to our mind can remain intact in our subconscious mind for four hours during sleep. It is similar to a kind of programming, the process of which starts with a thought running in the mind before reaching the subconscious in sleep and continues for the next four hours. Therefore, if possible, a good picture, a good prayer or a mantra should be put in your bedroom, so that while sleeping, we can sleep after seeing them, reading them, contemplating on them because the time before sleeping is the most important, right In the same way as the time before death is important.
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महर्षि दयानन्द को अधिष्ठात्री देवों की सत्ता स्वीकार्य न थी। उनके द्वारा तत्कालीन यज्ञ परम्परा का घोर विरोध किया गया। अपने वेदभाष्य व सत्यार्थप्रकाश में उन्होंने देवतावाची पदों का सही अर्थ प्रस्तुत किया। सत्यार्थप्रकाश सप्तम समुल्लास में देवता की परिभाषा देते हुए महर्षि कहते हैं- देवता दिव्यगुणों...